‘सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ 'toयह कहावत मघुसूदन पर
बिलकुल भी चरितार्थ नहीं होती थी, क्योंकि उस ने 'जोरू के भाई’ विप्रदास
की ही नहीं, 'जोरू ' कुमुदिनी की भी उपेक्षा की थी, जबकि कुमुदिनी से शादी
का प्रस्ताव भी उस ने स्वयं ही विप्रदास के पास भेजा था. कुमुदिनी के प्रति
मधुसूदन की यह उपेक्षा यहां तक बढ़ गई थी कि उस ने कुमुदिनी को
अनिश्चित काल के लिए उस के मायके भेज दिया और कुमुदिनी का पक्ष लेने
पर अपने भाईभाभी को भी दंडित करने में हिचक नहीं दिखाई.
आखिर पत्नी और उस के भाई के प्रति मधुसूदन की उपेक्षा का क्या कारण था ?
क्यों वह पत्नी के साथ मधुर दांपत्य संबंध नहीं रख सका? क्या वह किसी और
को चाहता था? अथवा कुमुदिनी का चालचलन ठीक नहीं था? ऐसे ही तमाम
प्रश्नों का उत्तर है रवींद्रनाथ टैगोर का उपन्यास 'योगायोग.!
“योगायोग' में पुरुष सत्तात्मक परिवार में नारियों की मनोदशा, मनोव्यथा और
दुर्दशा का मर्मस्पशी चित्रण किया गया है, इसलिए हर विचारशील परिवार के
लिए पठनीय एवं संग्रहणीय उपन्यास है.
Author's Name | Rabindranath Tagore |
Binding | Paper Back |
Language | Hindi |
Pages | 204 |
Product Code: | 967 |
ISBN: | 9788179874356 |
Availability: | In Stock |
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